About Sahitya Sushma Magazine
‘जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबहो शाम,’ ये गीत आज भी हमें प्रेरणा देता है कि जीवन एक अनंत यात्रा है जिसमें कई पड़ाव आते हैं। हर पड़ाव कुछ कहता है और हमारे जीवन को नए आयाम प्रदान करता है। पड़ाव और यात्राओं का संगम ही जीवन है और हम सब अपने छोटे से जीवन में इसी प्रक्रिया को आत्मसात करते हैं और फलस्वरूप स्वयं और समाज को समृद्ध बनाते हैं। जीवन सृजन की यह यात्रा अनवरत चलती रहती है और इसी यात्रा ने हमें प्रेरित किया कि हिंदी साहित्य में इस सृजन की निरंतरता को हम अपने छोटे से प्रयास से जीवंत रखें और और इसकी समृद्धि यात्रा के एक सशक्त साक्ष्य बनें। सृजन की इसी निरंतरता और हमारे प्रयासों का का नया नाम है ‘साहित्य सुषमा,’ जो जीवन के साहित्यिक और रचनात्मक आयामों को आपके समक्ष लेकर आ रहा है।
साहित्य सुषमा अब अपने नए युवा रूप में आपके सामने आ रही है। ‘साहित्य सुषमा‘ होगी रंगीन छटा बिखेरती, मनमोहक और मन को प्रसन्नता देने वाली। विश्व बदल रहा है, मानव की इस इलेक्ट्रॉनिक युग में सोच बदल रही है तो फिर ‘साहित्य सुषमा‘ क्यों पीछे रहे। नयी दुनिया के आयामों के साथ ‘साहित्य सुषमा‘ भी अब नयी सोच के साथ कदम से कदम मिला कर आपके समक्ष इलेक्ट्रॉनिक अथवा E-FORM में आ रही है और अपनी सीमित परिधि से निकल कर अब पूरे विश्व में ई फॉर्म में उपलब्ध होगी । इस नयी दुनिया में जो आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, ब्लॉकचैन और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की बात करती है वहीं ‘साहित्य सुषमा‘ www.sahityasushma.com पर ई फॉर्म में उपलब्ध होकर भी मानवीय संवेदनाओं और हिंदी साहित्य की सृजनात्मकता को एक नए रूप में पेश कर रही है। ‘साहित्य सुषमा‘ हिंदी साहित्य तथा अन्य भाषा भाषायी रचनात्मकता को भी आत्मसात करके और जादुई शब्दों में गूंध कर आपके समक्ष है।
हमारा प्रयास तभी सार्थक होगा जब आपकी संवेदनाएं और सृजन ‘साहित्य सुषमा‘ तक निरंता पहुंचता रहे। हमारे सृजनात्मक प्रयास को अपेक्षा रहे गी आपके सहयोग, प्रेम और आपके सार्थक प्रयासों की।
About Editor
‘साहित्य सुषमा’ की संपादक डॉ सुषमा गजापुरे ‘सुदिव’ हिंदी साहित्य में एक जाना-माना नाम है। वह डॉक्टरेट (मानद) तथा डी.लिट.(मानद) से भी सम्मानित हैं। डॉ सुषमा गजापुरे ‘सुदिव’ संस्कार निकेतन स्कूल की प्राचार्य रही हैं और भोपाल से प्रकाशित हिंदी साहित्यिक पत्रिका अक्षर शिल्पी की संपादक भी रही हैं। डॉ सुषमा गजापुरे ‘सुदिव’ स्वतंत्र लेखन के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं और उनके द्वारा लिखे गीत, ललित निबंध, कवितायें और बच्चों के लिए बाल गीत वर्षों से हिंदी साहित्य प्रेमियों और स्कूल के बच्चों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहे हैं।
डॉ सुषमा गजापुरे ‘सुदिव’ पत्रकारिता की दुनिया में भी एक स्तम्भकार के रूप में प्रतिष्ठित नाम हैं। इस समय वह हिंदी के दैनिक समाचार पात्र नवभारत और हिंदी सामना और अंग्रेजी दैनिक सेंट्रल क्रॉनिकल में प्रति सप्ताह सामाजिक, शैक्षणिक, वैज्ञानिक और आर्थिक विषयों पर कॉलम लिख रही हैं।
डॉ सुषमा गजापुरे ‘सुदिव’ की रुचियों में स्केचिंग,पेंटिंग, पुस्तकों के आवरण चित्र, मुखपृष्ट एवं पृष्ट साज-सज्जाकार्य प्रमुख हैं। कई पुस्तकों में उनके द्वारा रचित रेखांकन प्रकाशित हुए हैं। इसके अलावा देश के कई सभी स्थापित पत्र-पत्रिकाओं में उनके द्वारा रचित गीत, कवितायें, छन्दमुक्त रचनाएँ, जीवन दर्शन, सामाजिक एवं शिक्षा पर आधारित लेख, आलेख आदि भी प्रकाशित होते रहते हैं।
उनकी कुछ और प्रमुख उपलब्धियां:
- मध्य प्रदेश कला अकादमी में चित्रकला प्रदर्शनी आयोजित
- आकाशवाणी के कई केंद्रों से काव्यपाठ तथा बातचीत के प्रसारण
- ज्ञानवाणी भोपाल में परिचर्चा में सहभागिता
- आदर्श शिक्षा नीति, आदर्श जीवन एवं मानव-कल्याण हेतु सतत प्रयासरत
प्रकाशन-
- दर्द पराए का
- मन के आँगन में
- सृजन निरंतर,
- गुफ़्तगू ख़यालों से
सम्मान-
- विद्या वाचस्पति एवं विद्यासागर उपाधि ‘विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर
- हिंदीतर हिन्दी भाषी सेवी सम्मान ‘मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति भोपाल
- ‘रामेश्वर गुरु पुरस्कार’ उत्कृष्ट हिन्दी साहित्यिक पत्रिका हेतु, सप्रे संग्रहालय द्वारा
- भारती भूषण सम्मान
- भारती रत्न सम्मान
- श्री गीत रश्मि सम्मान
- रत्न भारती सम्मान
- सृजन श्री सम्मान
- हिन्दी साहित्य भूषण सम्मान,
- मानव-कल्याणकारी सेवा पुरस्कार
- शिक्षा बोध सम्मान
- संस्कार श्री सम्मान
- ज्ञान वर्धीनी पुरस्कार
- आदर्श समाज उद्बोधन सम्मान आदि अन्य पुरस्कार
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Website: sahityasushma.com