Published on 15.07.2018 in Navbharat (Hindi)
यातायात के विभिन्न साधनों में नागरिक विमानन ने पिछले ३० वर्षों में शानदार और चमत्कारी उन्नत्ति की है। विशेष रूप से निजी हवाई सेवाओं के प्रवेश के बाद इस क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं मिली हैं। आज एक आम साधारण नागरिक भी हवाई यात्रा का सपना देख सकता है। वो ज़माने चले गए जब भारत की अधिकाँश जनता सिर्फ आकाश में उड़ते हुए विमान को देख ही संतुष्ट हो जाया करती थी। वक़्त बदला तो लोगों में समृद्धि भी आयी और अगले क्रम में उन्नत होने की आकांक्षाएं भी परवान चढ़ी। २०१८ का हवाई परिदृश्य सन १९११ के परिदृश्य से बहुत ही अलग है। १८ फरवरी २०११ को भारत में हवाई प्रयोग की शुरुवात हुई जब इलाहाबाद से नैनी उड़ान ने लगभग ९.७ किलीमीटर का फासला तय किया तथा तथा वहां पर ६५०० पत्रों की डाक पहुंचाई। फ्रांस के विमान चालक हेनरी पिकेट ने हम्बर विमान से ये छोटी सी उड़ान इलाहाबाद से नैनी तक भरी । ये दिन भारत के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। १९३२ में महान जे आर डी टाटा ने डाक के साथ कराची से जुहू-मुंबई की उड़ान भरी। उनके द्वारा प्रारम्भ की गयी टाटा एयरलाइन्स ही बाद में जाकर एयर इंडिया बनी। भारत में आधुनिक विमानन के जनक और पिता जे आर डी टाटा को ही माना जाता है।
हवाई अड्डों के कुशल संचालन के लिए भारतीय राष्ट्रीय विमानन प्राधिकरण की स्थापना १९८६ में की गयी। १९९१ में विमानन क्षेत्र को निजी क्षेत्र की सेवाओं के लिए खोल दिया गया। अभी तक इस क्षेत्र में केवल एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स का ही प्रभुत्व था। इस एकाधिकार की वजह से भारत में विमानन क्षेत्र में १९४७ से १९९१ तक कुछ ख़ास वृद्धि नहीं हो पायी। १९९१ के बाद इस क्षेत्र में आशातीत वृद्धि हुई तथा इसके बाद भारत ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इस दौरान कई निजी विमान सेवाएं ठप्प भी हुईं पर २०१८ तक आते आते इस क्षेत्र में नए आयाम स्थापित हो गए। २०१८ तक भारतीय निजी विमानन कंपनियों ने कई नए मानदंड स्थापित किये। इंडिगो, जेट एयरवेज़, विस्तारा, स्पाइस जेट, गो एयर तथा एयर इंडिया भारत की इस समय अग्रणीय विमान कंपनियां हैं। दुनिया के बड़े हवाई जहाज़ निर्मातों ने भारत को आशा की दृष्टि से देखना शुरू कर दिया। भारत इस समय दुनिया के सबसे बड़े हवाई बाज़ारों में से एक है।
आज विमानन क्षेत्र का भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत ही बड़ा हिस्सा है। इसका एक गुणक प्रभाव (मल्टीप्लायर इफ़ेक्ट) भी है। नयी विमान सेवा, विमानों की संख्या में वृद्धि, नए भूगोलीय क्षेत्रों में हवाई सेवाएं और हर नया हवाई अड्डा हज़ारों लोगों को नए रोज़गार देता है तथा वहां पर नए काम धंधों और उद्योगों की की स्थापना होती है। बुनियादी ढाँचे में मज़बूती आती है। आज सरकारी और निजी विमानन क्षेत्र की कई कंपनियां सफलता पूर्वक भारत के कोने कोने में अपनी विमान सेवाएं दे रही हैं। भारत के कुल यातायात ट्रैफिक का ८% हिस्सा आज विमानन क्षेत्र का है तथा इसकी वार्षिक वृद्धि दर दो अंको में है। अनुमान है सन २०२५ तक विमानन क्षेत्र का हिस्सा ८% से बढ़ कर १५% हो जाए गा। भारत में इस समय लगभग ५५० नागरिक विमान हैं जिनकी संख्या २०२५ तक बढ़ कर तीन गुना यानिकि १५०० हो जायेगी । २०२५ तक भारतीय विमानन क्षेत्र दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बन जाएगी। इसी वजह से दुनिया की विमान बनाने वाली सभी कंपनियां भारत के ऊपर अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं। भारत की सरकारी तथा निजी एयरलाइन्स अब हर साल १ करोड़ से ज़्यादा यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा रहीं हैं। उम्मीद है ये संख्या २०१५ तक ५ करोड़ के आसपास प्रति वर्ष पहुंच जायेगी। अभी हाल ही में सरकार ने छोटे विमानतलों का विकास भी प्रारम्भ कर दिया है है ताकि छोटे छोटे शहर भी विमान सेवाओं से जुड़ सकें। उड़े देश का हर नागरिक- ये लक्ष्य है सरकार का कि एक हवाई चप्पल पहनने वाला इंसान भी विमान सेवा का उपयोग कर सके। यात्रियों के अलावा विमानों से त्वरित गति से सामान और डाक पहुंचाना भी विमान सेवाओं का एक मुख्य उद्देश्य है।
भारत का हवाई परिदृश्य बहुत तेज़ी से बदल रहा है। भारत विमानन क्षेत्र सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई मार्किट है। यहीं से नए रोज़गार और विकास के नए मार्ग पैदा होंगे। यही आनेवाले कल के ग्रीनफ़ील्ड प्रोजेक्ट्स हैं। इसे ज़रूरत है और बढ़ावा देने की। सरकार को भी ये प्रयास करने होंगे कि विमान के ईंधन के दामों को सही कीमत पर रखे क्यूंकि ये खर्च हवाई सेवाओं के कुल ऑपरेशनल खर्च का लगभग आधा है। ये भी सरकार को देखना होगा की हवाई अड्डों पर हवाई जहाज़ों के रखरखाव तथा लैंडिंग चार्जेज पर व्यवहारशीलता रखे ताकि विमानों को उड़ाने की कीमत को कम किया जा सके तथा उनको व्यवाहरिक जामा पहनाया जा सके। भारत तेज़ गति से बढ़ रहा है उसके नागरिकों की आकांक्षाएं बढ़ रही हैं तथा बढ़ रही है उसके उड़ने की चाहतें। आने वाले समय में हवाई सेवाएं यातायात का एक प्रमुख तथा अभिन्न अंग बन जाएंगी जैसे की अभी ये अमेरिका या यूरोप के देशों में है।
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